शोधामृत

Shodhaamrit

कला, मानविकी और सामाजिक विज्ञान की सहकर्मी समीक्षित अर्धवार्षिक मूल्यांकित शोध पत्रिका

(बहुविषय(कला, मानविकी और सामाजिक विज्ञान), बहुभाषिक(सभी भाषा) और ऑनलाइन & प्रिंट शोध पत्रिका)

Study of Educational Facilities Available for Children with Hearing Impairment

Title :-Study of Educational Facilities Available for Children with Hearing Impairment Download

Author :-रोशनी भारती/ कुमारी सुकेशिनी जैपाल खोब्रागडे

Date of Publication (ONLINE) :-10-11-2025
DOI :-10.71037/Shodhaamrit.v2i2.34
Online Publication Certificate No. :– SMT/314

cite this article:
भारती रोशनी/ खोब्रागडे कुमारी सुकेशिनी जैपाल, ”Study of Educational Facilities Available for Children with Hearing Impairment”, Published in SHODHAAMRIT(शोधामृत), ISSN-3048-9296(O) & 3049-2890(P), Volume-2 | Issue-2, July-Dec., 2025, Page No. :-194-201. URL: https://shodhaamrit.gyanvividha.com/wp-content/uploads/2025/11/roshani-bharati-kumari-sukeshini-Shodhaamrit-Vol-2Issue-2-ISSN-3048-9296O-3049-2890P-July-Dec.-2025pp-194-201.pdf

Abstract : श्रवण बाधित बच्चों के समुचित विकास में शिक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, क्योंकि यह न केवल उनके बौद्धिक और भाषाई विकास को प्रोत्साहित करती है, बल्कि उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का अवसर भी प्रदान करती है। श्रवण बाधा केवल सुनने की अक्षमता नहीं है, बल्कि यह संचार, भाषा, सामाजिक सहभागिता और व्यवहारिक विकास को भी प्रभावित करती है। अतः श्रवण बाधित बच्चों के लिए विशेष आवश्यकताओं के अनुरूप शैक्षिक प्रावधान आवश्यक हैं। इस शोध में भारत में श्रवण बाधित बच्चों के लिए उपलब्ध शैक्षिक सुविधाओं, विशेष विद्यालयों, शिक्षण पद्धतियों, शिक्षण सामग्री, तकनीकी उपकरणों और सरकारी योजनाओं का विश्लेषण किया गया है। अध्ययन से पता चला कि भारत सरकार ने विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम (2016), समावेशी शिक्षा नीति, और समग्र शिक्षा अभियान के माध्यम से इन बच्चों की शिक्षा को सशक्त बनाने हेतु महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। अली यावर जंग नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हियरिंग हैंडीकैप्ड, राष्ट्रीय बधिर विद्यालय, और राज्य स्तरीय संस्थान शिक्षा, प्रशिक्षण और पुनर्वास सेवाएँ प्रदान कर रहे हैं। फिर भी, व्यवहारिक स्तर पर चुनौतियाँ विद्यमान हैं, जैसे ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में विशेष विद्यालयों की कमी, प्रशिक्षित शिक्षकों और सांकेतिक भाषा दुभाषियों की अपर्याप्तता, तकनीकी संसाधनों की सीमित उपलब्धता, तथा समाज में नकारात्मक दृष्टिकोण। इसलिए आवश्यक है कि शिक्षा प्रणाली को और अधिक सशक्त, समावेशी और तकनीकी दृष्टि से उन्नत बनाया जाए। शिक्षक प्रशिक्षण, परिवारों की जागरूकता और समाज में संवेदनशीलता सुनिश्चित करने से श्रवण बाधित बच्चे आत्मनिर्भर, आत्मसम्मानपूर्ण और समाज के सक्रिय सदस्य बन सकते हैं।

Keywords : श्रवण बाधित, विशेष शिक्षा, समावेशी शिक्षा, तकनीकी संसाधन, सरकारी योजनाएँ, सामाजिक संवेदनशीलता.

Publication Details:

Journal : SHODHAAMRIT(शोधामृत)

ISSN : 3048-9296 (Online) & 3049-2890 (Print)

Published In : Volume-2 | Issue-2, July-Dec., 2025

Page Number(s) : 194-201

Publisher Name :

 Mrs Anubha Chaudhary | https://shodhaamrit.gyanvividha.com | ISSN-3048-9296(O) & 3049-2890(P)

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