Title :-Sarvodaya and Institutional Structure Download
Author :-Dr. Ram Kumar
Date of Publication (ONLINE) :-07-07-2025
DOI :-10.71037/shodhaamrit.v2i2.02
Online Publication Certificate No. :– SMT/282
cite this article:
Kumar Dr. Ram, ”Sarvodaya and Institutional Structure”, Published in SHODHAAMRIT(शोधामृत), ISSN-3048-9296(O) & 3049-2890(P), Volume-2 | Issue-2, July-Dec., 2025, Page No. :-09-13. URL: https://shodhaamrit.gyanvividha.com/wp-content/uploads/2025/07/Dr.-Ram-Kumar-Shodhaamrit-Vol-2Issue-2-ISSN-3048-9296O-3049-2890P-July-Dec.-2025pp-09-13.pdf
Abstract : भारत का नागरिक अत्यन्त हताश और आतंकित है। वह अपने को खोया सा पाता है इसलिए आज समय का तकाजा है कि नागरिक की शक्ति का आह्वान किया जाये।
सर्वोदय प्रत्येक व्यक्ति के नैतिक जागरण व अन्तः शुद्धि पर आधारित है। यह सत्य, अहिंसा, प्रेम, ब्रह्मचर्य, अभय, अस्तेय, अपरिग्रह, संयम, आत्मत्याग, शरीरश्रम, स्वदेशी, सर्व-धर्म-समभाव आदि गुणों की प्रतिस्थापना करता है। यह भौतिक सुखों के स्थान पर सादगी का मन्त्र देता है। सर्वोदय सबकी भलाई, विश्व में मैत्री, “वसुधैव कुटम्बकम” का आकांक्षी है। “सभी मेरे और मै सबका” की नीति में विश्वास करता है।
सर्वोदय आर्थिक क्रियाओं में भी नैतिक व्यवस्था पर आधारित है। गाँधी ने इस मंतव्य में संरक्षकता सिद्धान्त प्रतिपादित किया। सेवा एवं त्याग के आधारों पर आर्थिक संरचना होगी। उत्पादन समाज के आवश्यकतानुसार होगा न की लाभ के लिए। यह परावलम्बन के स्थान पर स्वावलम्बन चाहता है। अतः गाँधी ने नगरीय सभ्यता के स्थान पर ग्राम्यधारित समाज को श्रेष्ठ माना। गाँधी ऐसी ही मूलभूत आवश्यकताओं में आत्मनिर्भर हैं। गाँधी ने ग्रामोद्योग की स्थापना पर बल दिए जिससे विकेन्द्रीकरण के लक्ष्य पूर्ण हों तथा आत्मनिर्भर स्वावलम्बन से युक्त समाज की रचना हो सके।
Keywords : सर्वोदय; संस्थागत संरचना; लोकनीति; आत्मनिर्भरता; ग्रामोद्योग; अहिंसा; स्वराज्य।
Publication Details:
Journal : SHODHAAMRIT(शोधामृत)
ISSN : 3048-9296 (Online) & 3049-2890 (Print)
Published In : Volume-2 | Issue-2, July-Dec., 2025
Page Number(s) : 09-13
Publisher Name :
Mrs Anubha Chaudhary | https://shodhaamrit.gyanvividha.com | ISSN-3048-9296(O) & 3049-2890(P)