Title: Ajmer Merwara ra Lokgeeta ma Dharm, Aastha ar Lok Rivaaj Download
Author- BACHCHRAJ JAT
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JAT BACHCHRAJ, ”Ajmer Merwara ra Lokgeeta ma Dharm, Aastha ar Lok Rivaaj”, Published in SHODHAAMRIT, ISSN-3048-9296(o) & 3049-2890(P), Volume-2 | Issue-1 , Jan.-June 2025, Page No. :-106-112. URL: https://shodhaamrit.gyanvividha.com/wp-content/uploads/2025/04/bachchraj-jat-Shodhaamrit-Vol-2Issue-1ISSN-3048-9296o-3049-2890P-Jan.-June-2025pp-106-112.pdf
Abstract : अजमेर मेरवाड़ा रा लोकगीतां में धरम, आस्था अर लोक रिवाजां री अनूठी छाप देखण नै मिलै। ई शोध पत्र इन गीतां रा माध्यम सूं क्षेत्र री सांस्कृतिक थाती नै उजागर करै। अजमेर वजहं , जिको सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती री दरगाह अर हिंदू मंदिरां रै संगम रै लिय जाणीजै, रा लोकगीत धार्मिक सहिष्णुता अर आस्था रा प्रतीक है। गीतां में सूफी भक्ति री मिठास अर मीरा बाई जकां संतां री भक्ति री गहराई झलकै। साथै, जन्म, ब्याह, त्योहार अर रोजमर्रा रै कामां से जुड़्या रिवाज इन गीतां में बखूबी समाय जावै। ई शोध सहल (1985)1 , चूण्डावत (1972)2 अर चौहान (2008)3 जकां विद्वानां रा कामां रै आधार प लोकगीतां री महत्ता बतावै। विश्लेषण सूं पता चलै कि ई गीत सामाजिक एकता अर संस्कृति रै संरक्षण में अहम भूमिका निभावै। खासकर अजमेर रै मेलां में गाये जावण वाळा गीत हिंदू-मुस्लिम भाईचारा री मिसाल पेश करै। गणगौर अर तीज जकां त्योहारां रै गीत रिवाजां नै जीवंत राखै। निष्कर्ष में, लोकगीतां नै धरम अर रिवाजां रा जीवंत दस्तावेज माण्या ग्या है, जिको संरक्षण री जरूरत है। बदलती दुनिया में ई थाती लुप्त होवण री कगार पे है, जिको बचाण रै लिय शोध अर जागरूकता जरूरी है। ई शोध नयी पीढ़ी तक ई थाती पहुंचाण अर इन रै मूल्यां नै समझाण रै उपायां पे रोशनी डालै।
Keywords : .अजमेर, मेरवाड़ा, लोकगीत, धर्म, आस्था, लोकपरंपरा, लोकदेवता, रीतिरिवाज, राजस्थानी संस्कृति, भक्ति परंपरा, जातरा, मेला, लोकगायक.
Publication Details:
Journal : SHODHAAMRIT(शोधामृत)
ISSN : 3048-9296 (Online) & 3049-2890 (Print)
Published In : Volume-2 | Issue-1, Jan.-June 2025
Page Number(s) : 106-112
Publisher Name :
Mrs Anubha Chaudhary | https://shodhaamrit.gyanvividha.com | ISSN-3048-9296(o) & 3049-2890(P)